CHITRAKOOT WATERFALL (चित्रकोट जलप्रपात)
छत्तीसगढ़ की सबसे मनमोहक और सुंदर जगहों में से एक है चित्रकोट जलप्रपात(Chitrakoot Waterfall), यह जलप्रपात इंद्रावती नदी पर है जो एक प्राकृतिक जलप्रपात है। यह जलप्रपात बस्तर जिला जगदलपुर से 38 किलोमीटर दूर पश्चिम में स्थित है। इस जलप्रपात की ऊंचाई 29 मीटर(98ft) है, मानसून के समय इसकी चौड़ाई 300 मीटर(98ft) हो जाती है जो की पूरे भारत देश की सबसे चौड़ी जलप्रपात है। इस जलप्रपात का आकार घोड़े की नाल की तरह है, इसे Niagara Falls of India भी कहा जाता है।
घोड़े के नाल के आकार का यह अद्भुत जलप्रपात पर्यटकों के आनंद लेने के लिए एक शानदार दृश्य प्रदान करता है। झरने के आसपास के क्षेत्र आश्चर्यजनक और मनोरम हैं। झरनों के किनारों पर बैठे पक्षियों को देखते ही इस जगह की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है, झरनों से निकलने वाली आवाजें झरनों से बाहर आने के बाद भी आपके कानों में गूंजती रहेंगी। बरसात के मौसम के दौरान जुलाई से अक्टूबर तक झरने के धुंध पर सूर्य की किरणों के साथ इंद्रधनुष बनते हैं।इस झरने की खासियत यह है कि बरसात के दिनों में यह पानी लाल रंग का होता है, गर्मियों की चांदनी रात में यह बिल्कुल सफेद दिखता है।
चित्रकोट जलप्रपात इंद्रावती नदी पर स्थित है। यह नदी ओडिशा के कालाहांडी जिले की पहाड़ियों से निकलती है, पश्चिम की ओर बहती हुई चित्रकोट में गिरती है, जिसके बाद यह अंत में भद्रकाली में गोदावरी नदी में बहती है। अपने घोड़े की नाल के आकार के कारण, इसकी तुलना अक्सर संयुक्त राज्य अमेरिका में विश्व प्रसिद्ध Niagara Falls से की जाती है, और इसे “The Small Niagara Falls” नाम दिया गया है।
चित्रकोट जलप्रपात के बाएं किनारे पर भगवान शिव को समर्पित एक छोटा हिंदू मंदिर और “पार्वती गुफाओं” (शिव की पत्नी पार्वती के नाम पर) नामक कई प्राकृतिक रूप से निर्मित गुफाएं स्थित हैं। जगदलपुर के मैदानी इलाकों से होकर बहने वाली अपनी घुमावदार प्रकृति के कारण नदी झरने के ऊपर की ओर धीमी गति से बहती है । जलप्रपात के नीचे नदी बोधघाट वन क्षेत्र से होकर गुजरती है और नदी के प्रवाह के भारी बदलाव आता है । गर्मी के मौसम को छोड़कर क्षेत्र में मौसम आम तौर पर सुखद होता है ।
चित्रकोट जलप्रपात कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के पास स्थित दो झरनों में से एक है, दूसरा तीरथगढ़ जलप्रपात है ।
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TEERATHGARH WATERFALL (तीरथगढ़ जलप्रपात)
जगदलपुर से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह जलप्रपात पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। मुंगा बहार नदी पर स्थित यह जलप्रपात प्राकृतिक संरचनाओं की पहाड़ी से 300 फीट नीचे गिरता है, दूध के झाग का प्राकृतिक फव्वारा और पानी के गिरने से बनी पानी की बूंदें देखने में बहुत सुंदर लगती हैं। यह जलप्रपात स्थानीय लोगों और मौसमी पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय है। अपने स्वर्गीय स्वरूप के साथ, ऐसा लगता है जैसे स्वर्ग चट्टानी इलाकों से नीचे उतर रहा है।
यह जलप्रपात कई झरनों में विभाजित हो जाता है, जो एक आश्चर्यजनक दृश्य बनाता है। तीरथगढ़ जलप्रपात छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में कांगेर घाटी पर स्थित है। यह कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान का एक हिस्सा है और सुंदर जंगलों, समृद्ध वनस्पतियों और विविध वन्य जीवन से घिरा हुआ है।
जलप्रपात राज्य पर्यटन विभाग के इको-टूरिज्म के अंतर्गत आता है क्योंकि यह कांगेर राष्ट्रीय उद्यान से जुड़ता है। झरने के चारों ओर हरे-भरे जंगल हैं। झरने के सामने एक बड़ी चट्टान पर एक छोटा सा मंदिर है। चारों ओर एक हजार साल पुरानी, उन्नत, हिंदू सभ्यता के खंडहर हैं। यह 300 फीट का जलप्रपात एक आकर्षक और शानदार होता है।
तीरथगढ़ जलप्रपात के क्षेत्र में गर्मी के मौसम के दौरान तापमान औसत स्तर से ऊपर चला जाता है, फिर भी हरे-भरे हरियाली और सुखदायक वातावरण की उपस्थिति के कारण सैकड़ों पर्यटकों इस झरने का आनंद लेने दूर-दूर से आते हैं। यहाँ की जलवायु शांत और शांतिपूर्ण वातावरण है।
यदि आप इस जलप्रपात का आनंद लेना चाहते हैं, तो यात्रा करने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के अंत तक है और यदि आप तीरथगढ़ जलप्रपात के पानी का आनंद लेना चाहते हैं, तो इस सुंदरता को देखने की सलाह दी जाती है,केवल ग्रीष्मकाल में।
https://bastar.gov.in/en/tourist-place/teerathgarh-falls/
Ghatarani Waterfall (घटारानी जलप्रपात)
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर शहर से 85 किमी दूर स्थित घटारानी झरना है,यह हरी-भरी हरियाली से घिरा हुआ झरना है। इस झरने का नाम यहाँ स्थित पवित्र मंदिर की देवी घटारानी के नाम पर रखा गया है, नवरात्रि के समय यहाँ हजारों की संख्या में लोग आते हैं। यह झरना अपने मनमोहक नजारे की वजह से एक लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट भी है। घटारानी झरना अपने दोस्तों और परिवार के साथ जाने के लिए एक पसंदीदा पिकनिक स्थल है।
यहाँ एक खूबसूरत प्राकृतिक जंगल भी है। इस झरने के तल में जाकर तैरने का आनंद भी लें सकते हैं, झरने के तल पर एक प्राकृतिक रूप से बना पूल भी है। हालांकि बरसात के मौसम में झरने की सुंदरता और भी बड़ जाती है ,जब पानी पूरे प्रवाह में होता है।
MENDRI GHOOMAR WATERFALL (मेंदरी घुमर जलप्रपात)
मेंदरी घूमर जलप्रपात चित्रकोट जलप्रपात और बारासुर के बीच में स्थित है। चित्रकूट से लगभग 24 किमी दूर एक छोटा सा सुंदर जलप्रपात स्थित है। नीचे गहरी घाटी और वहाँ घने जंगल का नजारा बहुत ही शानदार है। यह एक प्यारा पिकनिक स्पॉट भी है। यह जलप्रपात बरसात के मौसम मे ज्यादा सुंदर दिखाई देता है क्योंकि उसी समय यहाँ पर पानी की उप्लबध्ता ज्यादा होती है | चारों और चट्टानों से घिरे होने के कारण इसकी सुंदरता आपका मन मोह लेगी|
बारसूर और चित्रकोट के बीच मरदुम गांव में हाट (बाजार) भी है जिसमे आपको बस्तर की संस्कृति की झलक भी मिलेगी| हरे-भरे वातावरण और आकर्षक जगहों के साथ जलप्रपात की ऊंचाई लगभग 70 मीटर है। बारिश के मौसम में मेंदरी घूमर जलप्रपात सबसे अच्छा होता है। बारिश से एकत्रित पानी लगातार पहाड़ी से बहता रहता है जिससे यह एक आकर्षक जलप्रपात बन जाता है। यह अपने दोनों तरफ हरे भरे जंगल से घिरा हुआ है,जिससे यह राज्य में सबसे अधिक वांछित पारिस्थितिक पर्यटन स्थलों में से एक बन गया है। पानी गर्मियों के दौरान धीरे-धीरे और शांति से बहता है।
AMRITDHARA WATERFALL (अमृतधारा जलप्रपात)
अमृत धारा भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के कोरिया जिले में स्थित एक प्राकृतिक जलप्रपात है। झरने का पानी बड़ी ऊंचाई से नीचे गिरता है, जिससे एक सुंदर धुंध भरा माहौल बनता है। यह हसदेव नदी से निकलती है, जो महानदी की एक सहायक नदी है। छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में अमृत धारा झरना 90.0 फीट की ऊंचाई से गिरता है। जलप्रपात लगभग 10.0–15.0 फीट चौड़ा है।
आसपास का क्षेत्र भी एक प्रसिद्ध पिकनिक स्थल है, खासकर परिवारों के लिए। जगह की सुंदरता हर आगंतुक को आकर्षित करती है और उन्हें बार-बार उस जगह पर जाने के लिए लुभाती है।
यह जलप्रपात भी एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान है जिसमें एक शिव मंदिर भी है। इस स्थान के आसपास हर साल एक बहुत मेला आयोजित किया जाता है। यह मेला रामानुज प्रताप सिंह जूदेव द्वारा शुरू किया गया था, जो वर्ष 1936 में कोरिया राज्य के राजा थे। मेला महाशिव रत्रि के त्योहार के अवसर पर लगता है और मेले के दौरान लाखों भक्त शिव जी के दर्शन के लिए आते हैं।
CHHURI WATERFALL(चुरी झरना )
छत्तीसगढ़ के जशपुर में चुरी झरना यह जलप्रपात ईब नदी से निकला हुआ है। जशपुर जिला बादलखोल अभ्यारण में आता है। यह जिला मुख्यालय से 90 किलो. दूर स्थित है। यह आरक्षित जंगल पूर्व में जशपुर महाराज का शिकरगाह था ।
इसी अभ्यारण में यह सुंदर जलप्रपात है, यह एक प्यारा पिकनिक स्पॉट भी है। यहाँ दूर-दूर से लोग इस सुंदर झरने का आनंद लेने आते है। इस अभ्यारण पर जंगली हाथी हमेशा चलते हुए दिखाई देंगे ।
RAJPURI WATERFALL(राजपुरी जलप्रपात)
राजपुरी जलप्रपात छत्तीसगढ़ राज्य के उत्तर पूर्वी कोने में स्थित जशपुर से 60 किमी दूर स्थित है। आदिवासीयों के गांवों से घिरा यह राजपुरी जलप्रपात एक मनोरम दृस्य प्रदान करता है। यह बहुत ही आकर्षक जलप्रपात और प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है। दूर-दूर से यहाँ प्राकृतिक प्रेमी पिकनिक के लिए आते हैं और दृश्य का आनंद लेते हैं।
भारत के छत्तीसगढ़ के उत्तरी भाग में स्थित जशपुर छुट्टी के लिए एकदम सही जगह है। उराँव आदिवासी आबादी और उनकी छोटी बस्तियाँ जशपुर को एक अलग आकर्षण देती हैं। इन आदिवासियों की अपनी लोककथाएं और परंपराएं हैं। कर्मा नृत्य जो एक आदिवासी नृत्य है इसे चांदनी रात में देखने जैसा कुछ नहीं है। जशपुर ऊपरी घाटों में पहाड़ी इलाकों और जंगलों से भरा हुआ है, जबकि निचले मैदान में विशाल नदियाँ और झरने हैं। जशपुर में नदियाँ, गुफाएँ और झरने मछली पकड़ने और लंबी पैदल यात्रा के पर्याप्त अवसर प्रदान करते हैं। रास्ता सुगम नहीं हो सकता है क्योंकि इनमें से कुछ स्थानों पर सड़क निर्माण अभी भी चल रहा है। हालांकि यह यात्रा कई मायनों में फायदेमंद है।
यहां प्रकृति के कई पहलुओं को देखने को मिलते हैं। राजपुरी झरना जशपुर में सबसे अधिक बार देखे जाने वाले स्थानों में से एक है। यह एक लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट भी है। इस जगह और उसके आसपास के आदिवासी गाँव पूरी जगह में एक अलग ही आकर्षण जोड़ते हैं। यहाँ प्रागैतिहासिक काल की चट्टानी दीवार है जो एक प्राचीन कथा कहती है। यह स्थान जशपुर मुख्य से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
जशपुर सड़कों और राजमार्गों के अच्छे नेटवर्क द्वारा छत्तीसगढ़ के बड़े और छोटे शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग 78 जशपुर से होकर गुजरता है। निकटतम हवाई अड्डा रायपुर में है। अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं तो छत्तीसगढ़ की जशपुर की यात्रा जरूर कीजिये ।
RANI DAH WATERFALL(रानी दाह जलप्रपात)
रानी दाह झरना जशपुर शहर के जीवन की हलचल से दूर एक शांत जगह है। यह पिकनिक के लिए एक उचित स्थान है। जंगल के बीच पहाड़ी इलाके में स्थित, रानी दाह झरना जशपुर में सबसे अधिक बार आने वाले पिकनिक स्थलों में से एक है।
झरने के पास का पूरा इलाका जशपुर में समृद्ध इको टूरिज्म की बात करता है। छत्तीसगढ़ वन विभाग इन खूबसूरत जगहों के भ्रमण की व्यवस्था भी करती है। रानी दाह जलप्रपात के आसपास आदिवासी गाँव हैं जो इस क्षेत्र में एक अलग तरह का आकर्षण जोड़ते हैं। यह क्षेत्र जशपुर से 12 किलोमीटर दूर है।
TIGER POINT WATERFALL(टाइगर प्वाइंट जलप्रपात)
छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के मैनपाट में स्थित टाइगर प्वाइंट झरना (TIGER POINT WATERFALL)एक और खूबसूरत पर्यटन स्थल है। मैनपाट को “छत्तीसगढ़ का शिमला” कहा जाता है। यह कई तिब्बती धार्मिक निर्वासितों का भी घर है जो बुद्ध को समर्पित एक मंदिर में पूजा करते हैं।
मैनपाट कई सांस्कृतिक और प्राकृतिक स्थलों के साथ जंगल के पठार के ऊपर बसा एक आकर्षक सुरम्य स्थान है। मैनपाट की घाटियों और पहाड़ियों में खूबसूरत जलप्रपात भी हैं, जैसे टाइगर प्वाइंट जलप्रपात जहां बाघ घूमते रहते हैं इसी जगह पर यह जलप्रपात भी है इसीलिए इस जलप्रपात को टाइगर प्वाइंट जलप्रपात के नाम से जाना जाता है। यहाँ कई छोटे-छोटे झराने शामिल है,जो सुंदर प्राकृतिक दृश्यों के साथ जंगल को और भी आकर्षक बनाते हैं।
वैसे तो यहां कई झरने, नदियां और दर्शनीय स्थल हैं। लेकिन टाइगर प्वाइंट, फिश प्वाइंट और मेहता प्वाइंट के नजारे न देखें तो कुछ भी नहीं देखा। स्थानीय लोगों का कहना है कि टाइगर प्वाइंट पर टाइगर पानी पीते थे। फिश प्वाइंट पर आप विभिन्न प्रजातियों की मछलियों को देख सकते हैं। मेहता पॉइंट पर सूर्योदय और सूर्यास्त के नज़ारे हमेशा आपके याद में रहेंगे। यहां ‘दलदल’ में स्पंज लैंड आपको प्रकृति के करीब ले जाएगा।
RAKASGANDA WATERFALL(राकसगंडा जलप्रपात)
राकसगंडा जलप्रपात(RAKASGANDA WATERFALL)छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में स्थित एक पर्यटन स्थल है। यह अंबिकापुर से लगभग 150 किमी दूर है। राकसगंडा देखने का सबसे अच्छा समय अप्रैल-जून के आसपास है। यह जलप्रपात छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के ‘नलंगी’ नामक स्थान पर ‘रेहन्द नदी’ पर स्थित है।
इस नदी का पानी उचाई से गिरकर गहर कुण्ड में समाता है। कुण्ड की गहराई बहुत अधिक है, इसकी लगभग 100 मीटर होगी जो एक सुरंग की तरह है। जहां यह सुरंग समाप्त होती है, वह से रंग-बिरंगा जल निकलता रहता है। इसी विचित्रता के कारण यहाँ लाखों की संख्या में लोग इसे देखने और इसका आनंद लेने आते हैं।
KENDAI WATERFALL(केंदई जलप्रपात)
यह प्रकृति के बीच बसा हुआ 75 फीट ऊंचाई वाला एक प्यारा झरना कोरबा जिला मुख्यालय से 90 कि.मी. और बिलासपुर से लगभग 134 कि.मी. की दूरी पर केंदई ग्राम में स्थित हैं, यह कोरबा जिले का एक बहुत ही प्रसिद्ध पिकनिक स्पाट हैं। कोरबा जिले का खुबसुरत जलप्रपात केंदई यह कोरबा जिले का दुसरा सबसे लंबा जलप्रपात हैं, यह खुबसुरत झरना कोरबा जिले के केंदई ग्राम में स्थित हैं। यहां हर साल लाखों की संख्या में लोग छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जगहों से पिकनिक के लिए आते हैं, और प्रकृति के बीच इस जलप्रपात के करीब अपने दोस्तों और परिवार के साथ समय व्यतीत करते हैं।
यह जलप्रपात (KENDAI WATERFALL)बरसात के मौसम में बहुत ही खुबसुरत दिखाई देता हैं, इस झरने का पानी हसदेव-बांगो में जाकर मिलता हैं, यहां हसदेव नदी का पानी जज्गी से होते हुए केंदई ग्राम के इस खुबसुरत जलप्रपात से होते हुए 3 छोटे जलप्रपातों का निर्माण करते हुए बांगो रिसर्वायर में मिलता हैं, यह जगह प्रकृति से घिरी हुई हैं। यहां आपको पहाड़, जंगल और जंगली जानवार भी देखने को मिलेंगे यहां केंदई के इस खुबसुरत जलप्रपात के करीब स्वामी सदानंद का आश्रम भी स्थित हैं।
इस जलप्रपात की उंचाई लगभग 75 फिट है, जो कोरबा के अब तक के सबसे लंबे जलप्रपात रानी-झरिया से लगभग 25 फिट छोटा हैं, झरने पर कार्तिक पुर्णिमा और नये साल के अवसर पर लोगो की काफी भीड़ होती हैं। आपको विश्राम के लिए जगह और वाटरफाल के किनारे सुरक्षा के लिए फेंसिग भी देखने को मिलेगी यहां रेस्ट हाउस में उपलब्ध हैं, जहां आप अपने दोस्तो और परिवार के साथ यहां कैपिंग और नेचर वाचिंग का आनंद भी उठा सकते हैं।
इस जलप्रपात में बरसात और ठंड के मौसम में अच्छा पानी होता हैं, इतनी सारी खुबियों और खुबसुरती के बाद भी यह जगह काफी खबरो में रहती यहां रहने वाले वन्यजीव मुख्यत: लेमरु रेंज के हाथी यहां कभी-कभी विचरण करते रहते हैं, और आस-पास के गांवो में हाथियों के घुस जाने की खबरे आती रहती हैं, इन सभी बातों के बावजूद यह जगह पर्यटको से भरी रहती हैं।
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DEVDHARA WATERFALLS(देवधारा जलप्रपात)
छत्तीसगढ़ में झरने अकुरी नाला और देवधारा जलप्रपात(DEVDHARA WATERFALL) हैं, चिरिमिरी छत्तीसगढ़ की जन्नत है। अमृत धारा जलप्रपात, कोरिया, एक प्राकृतिक जलप्रपात है जो हसदेव नदी से निकलता है। जिस स्थान पर पानी गिरता है, वहां चारों ओर बादल का वातावरण बन जाता है।
छत्तीसगढ़ के ग्राम कुल्हाड़ीघाट और हीरा खदान पैलीखंड के बीचों-बीच प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर देवधारा जलप्रपात हैं। ये जलप्रपात उदंती अभ्यारण क्षेत्र में आता है, यह अभ्यारण वनभैंसों के लिए विख्यात है। देवभोग जो रायपुर शहर के मुख्यमार्ग से डुमरपडाव गांव के पास जांगडा पायलीखंड होते हुए देवधारा पहुंचा जा सकता है। दूसरा रास्ता मैनपुर, कुल्हाड़ीघाट, बेसराझर होते हुए भी पहुंचते है। वन विभाग ने यहां पहुंचने के लिए कच्ची सड़क भी बनवाई है।
देवधारा को देवस्थल के रूप में जाना जाता है। यहां दशहरा और नवरात्रि के मौके पर विशेष पूजा-अर्चना होती है। वहीं माघी पूर्णिमा के मौके पर मेला भी लगता है। यहां की पहाड़ियां घने वनों से आच्छादित है। इन वनों में साजा, बीजा, लेंडिया, हल्दु, धाओरा, आंवला, सरई एवं अमलतास जैसी प्रजातियों के वृक्ष भी पाए जाते हैं।
HANDAWADA WATERFALL (हांदावाड़ा जलप्रपात)
बस्तर संभाग अपनी पौराणिक, नैसर्गिक, पुरातात्विक और सांस्कृतिक विरासत के लिए पूरी दुनिया में चर्चित है लेकिन इस भू- भाग में कई ऐसे अछूते दर्शनीय स्थल हैं जहां आज भी सैलानी पहुंच नहीं पाए हैं। बस्तर संभाग में चित्रकोट, तीरथगढ़, फूलपाड़, तामड़ाघूमर आदि ऐसे जलप्रपात हैं जहां सैलानी आसानी से पहुंच जाते हैं परंतु नारायणपुर जिला के ओरछा ब्लाक अंतर्गत हांदावाड़ा जलप्रपात इस भू-भाग का सबसे बड़ा और ऊंचा जलप्रपात है इस जलप्रपात की जानकारी बहुत कम लोगों को है।
अबूझमाड़ के मैदानों से बहकर आने वाली नदी धाराडोंगरी में खूबसूरत जलप्रपात बनाता है। इसे ही हांदावाड़ा जलप्रपात कहा जाता है। इस जलप्रपात की ऊंचाई करीब 300 फीट है। जलप्रपात के ठीक ऊपर कुश फूलों के मध्य एक और जलप्रपात है। आकर्षक जलप्रपात की तस्वीरों को देखकर को कोई यह मानने को तैयार नहीं होता कि यह नजारा बस्तर का है।