रंगोलियाँ
छत्तीसगढ़ के रायपुर शहर में रहने वाले प्रमोद साहू ने 3D में रंगोली बनाकर अपनी अनोखी कला का प्रदर्शन कर एक अग्रणी कलाकार बने । इनकी रंगोलियाँ देखने में वास्तविक लगती हैं । इन्हे बहुत ही कम उम्र से रंगोली बनाने का एक जुनून था, इन्होने 7 साल की उम्र में ही इस तरह की रंगोलियाँ बनाने की शुरुआत की । प्रमोद 15 साल तक रंगोली बनाने वाले उद्योग में रहे हैं और अब तक उन्होंने पूरे भारत में 500 से अधिक व्यावसायिक रंगोलियाँ बनाई हैं । प्रत्येक कलाकृति से उन्हे RS. 10,000 से 1,50,000 के बीच मिल जाती है।
2013 में भाषाविज्ञान में MA पूरा करने के बाद, प्रमोद ने रंगोली बनाना जारी रखा और कला कार्यक्रमों में भाग लेना शुरू कर दिया । शुरुआती वित्तीय संघर्ष के बाद, लोगों ने इनकी अविश्वसनीय प्रतिभा पर ध्यान देने लगे जो की एक अनोखी कला के रूप में सामने आया । कला से जीवन बनाने की वित्तीय सीमाओं को देखते हुए, प्रमोद ने कड़ी मेहनत की और यहां तक कि 2005 और 2010 के बीच अपने परिवार को आर्थिक रूप से योगदान देने के लिए ड्राइंग कक्षाएं संचालित करना शुरू कर दिया।
आज रंगोली बनाने के साथ प्रमोद ने रायपुर में कला संस्थान की स्थापना भी की है ,इस संस्थान का नाम छपाक कला संस्थान है, जो हर साल 8-10 बच्चों को पूर्ण छात्रवृत्ति प्रदान करता है। 2014 में अपनी स्थापना के बाद से, इस अकादमी ने 400 से अधिक छात्रों का नामांकन किया है। इंहोने दुनिया भर में 10,000 से भी अधिक छात्रों को प्रशिक्षण दिया है और आगे भी देते रहेंगे । प्रमोद कहते हैं कि “कला विद्यालय उन लोगों को एक मंच प्रदान करना चाहता है जो अपने रचनात्मक पक्ष को एक तरह से उजागर करना चाहते हैं जो उन्हें भविष्य में कमाने में मदद भी करता है ।”
रंगोली भारतीय घरों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनी हुई है। प्रमोद एक अग्रणी कलाकार हैं,जिन्होंने 3 डी और अति-यथार्थवाद को रंगोली के रूप में बुनियादी रूप में पेश किया। वह प्लास्टिक कचरे,महिला सशक्तीकरण, दहेज और भी बहुत से अलग-अलग रंगोलियों के माध्यम से जागरूकता पैदा करने के लिए सामाजिक मुद्दों को लोगों के सामने पेश करते है। इन्होने अपनी रंगोलियों में छतीसगढ़िया कलाकृतियों को भी जोड़ा है। ये हमारे छत्तीसगढ़ के अग्रणी कलाकार माने जाते हैं । इन शानदार कलाकृतियों की वजह से उन्हे कई अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है।
उन्होंने रूस में “19th World Festival of Youth and Students“ नामक विश्व के सबसे बड़े युवा उत्सव में भारत का प्रतिनिधित्व किया। 28,000 युवाओं के बीच, वह शीर्ष 100 में चयनित होने वाले रंगोली कलाकार के रूप में एकमात्र भारतीय थे जो कि हमारे देश के लिए गर्व की बात है । उनकी शानदार कलाकृतियों ने उन्हें 2018 में ऑल इंडिया प्लैटिनम आर्टिस्ट अवार्ड और डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम राष्ट्र निर्माण पुरस्कार से सम्मानित किया।
रंगोली एक कला का रूप है जिसमें फर्श या जमीन पर रंगीन चावल, रंगीन रेत, क्वार्ट्ज पाउडर या फूलों की पंखुड़ियों जैसी सामग्री का उपयोग करके पैटर्न बनाए जाते हैं। यह आमतौर पर भारतीय लोग में दिवाली या तिहाड़, ओणम, पोंगल और अन्य हिंदू त्योहारों के दौरान बनाया जाता है। प्रमोद ने अपने 3D रंगोली को दुनिया के सामने लाकर रंगोली जैसी कला को अलग ही पहचान दिया है ।
इस रंगोली को बनाने के लिए कलाकार ने काले और सफेद रंग की धूल का इस्तेमाल किया है। यह 2016 में रायपुर में राष्ट्रीय युवा महोत्सव के दौरान एक संलग्न क्षेत्र में बनाया गया था। यह रंगोली देखने में वास्तविक लगता है लेकिन इसे बनाने में प्रमोद ने केवल 2 ही रंग की धूल का इस्तेमाल किया, यह उनकी अद्भुत रंगोलियों में से एक है । उन्होने ऐसे ही बहुत से रंगोलियों बनाई है।
प्रमोद द्वारा बनाई गई रंगोलियों की अविश्वसनीय कलाकृतियों पर एक नज़र: